कंपनी की ऑफिस बिल्डिंग में हर दिन की हलचल अपने चरम पर होती थी, लेकिन इस भीड़भाड़ के बीच, अनिल का व्यक्तित्व एक चमकते सितारे की तरह अलग दिखता था। वह न केवल अपने काम में दक्ष था, बल्कि अपने व्यवहार से हर दिल में जगह बना चुका था। उसके होंठों पर हमेशा एक मुस्कान रहती थी, जो किसी भी उदास चेहरे पर भी मुस्कान बिखेर देती। अनिल अपने सहकर्मियों के लिए न केवल एक दोस्त था, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत भी था।
अनिल का ज्ञान, उसका सौम्य स्वभाव और उसकी सादगी उसे विशेष बनाते थे। वह साधारण कपड़े पहनता था, लेकिन उसकी आत्मा की सुंदरता उसकी बाहरी दिखावट को बेमिसाल बना देती थी। उसके मित्रों में किसी प्रकार की ईर्ष्या नहीं थी, क्योंकि अनिल ने कभी किसी को खुद से छोटा नहीं समझा।
### *सपना का परिचय: सौंदर्य और चुलबुलापन का अद्भुत संगम*
उसी ऑफिस में काम करती थी सपना। 19 साल की यह लड़की न केवल खूबसूरत थी, बल्कि उसकी ऊर्जा और चुलबुलापन हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता था। उसके काले घने बाल उसके गालों को हल्के से छूते हुए लहराते, मानो हवा में तैर रहे हों। उसकी मुस्कान किसी गुलाब के खिलने जैसी थी, और उसकी आँखों में एक ऐसी गहराई थी, जो हर किसी को मोहित कर देती।
सपना के व्यक्तित्व में एक अनोखा आकर्षण था। वह हर किसी से घुलमिलकर रहती थी, लेकिन उसके दिल के करीब कोई नहीं था। वह भीड़ में अकेली सी दिखती थी, जैसे कोई झील, जो शांत दिखती है, लेकिन उसमें असीम गहराई छिपी होती है।
### *पहला संपर्क और पहला अहसास*
अनिल और सपना अक्सर ऑफिस में काम के सिलसिले में मिलते। दोनों के बीच एक सहज संवाद था। एक दिन की बात है, अनिल ने सपना को कुछ कागज लाने के लिए कहा। सपना ने काम खत्म कर जल्दी से वह कागज ला दिए। उस दिन दोनों की नजरें मिलीं और एक पल के लिए सब कुछ ठहर सा गया। अनिल के मन में एक हलचल थी, जिसे वह समझ नहीं पा रहा था। सपना के दिल में भी एक अनजाना सा भाव जन्म ले रहा था।
सपना ने अनिल के कामों में मदद करना शुरू कर दिया। वह हर छोटी-बड़ी चीज़ का ध्यान रखती, लेकिन इस तरह कि कोई यह न समझ सके कि यह मदद नहीं, बल्कि प्रेम का इज़हार था। अनिल भी उसकी इस अनकही भावना को समझ रहा था, लेकिन उसने कभी इसे शब्दों में पिरोने की कोशिश नहीं की।
### *प्रेम का पहला संकेत*
एक बार अनिल को सिरदर्द हो रहा था। उसने सपना से कहा, "सपना, दवा ले आओगी?" सपना ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, अभी आती हूँ।" कुछ ही देर में वह दवा, बिस्किट और पानी लेकर आई। जब अनिल ने पैसे देने चाहे, तो सपना ने मुस्कुराकर कहा, "क्या मैं इतना भी नहीं कर सकती?"
उस दिन अनिल के दिल में एक बात स्पष्ट हो गई थी। यह साधारण मित्रता नहीं थी। सपना के दिल में कुछ खास था, लेकिन वह इसे कभी व्यक्त नहीं करती।
### *अनजाने इज़हार और तड़पाने का खेल*
एक और घटना ने उनके रिश्ते को और भी गहरा बना दिया। अनिल को एक किताब बाइंड करवानी थी। सपना ने उसे कहा, "आप मुझे दे दीजिए, मैं करवा दूंगी।" किताब बाइंड करवा लेने के बाद भी सपना उसे लौटा नहीं रही थी। वह हर दिन कहती, "कल दे दूंगी," और फिर अगले दिन कहती, "भूल गई।" अनिल परेशान था, लेकिन सपना की इस शरारत में भी एक मासूमियत थी।
आखिरकार, जब सपना ने किताब लौटाई, तो अनिल ने मुस्कुराकर पूछा, "इतने दिन क्यों लगाए?" सपना ने हँसते हुए कहा, "आपको तड़पाने में मजा आ रहा था।"
### *दिल की बात और झिझक*
अनिल और सपना दोनों एक-दूसरे को पसंद करते थे, लेकिन दोनों में से किसी ने भी पहल नहीं की। एक दिन अनिल ने सपना से पूछा, "तुम्हें बुरा लगता है, जब मैं किसी और से बात करता हूँ?" सपना ने पलटकर जवाब दिया, "आपको क्या लगता है?"
अनिल ने मुस्कुराकर कहा, "जो मुझे लगता है, वह कह दूँ?" सपना ने सहमति में सिर हिलाया।
अनिल ने कहा, "मैं तुमसे प्यार करता हूँ। अब यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम क्या सोचती हो।" सपना ने शरमाते हुए कहा, "मुझे सोचने का समय चाहिए।"
### *प्रेम का इज़हार*
अगले दिन सपना ने फोन किया और कहा, "मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ, लेकिन एक बार में ही कहूँगी।" अनिल ने पूछा, "क्या?" सपना ने झिझकते हुए कहा, "मैं भी आपसे प्यार करती हूँ।"
इस इज़हार ने दोनों के रिश्ते को एक नया आयाम दिया। अब वे एक-दूसरे के बिना अधूरे से महसूस करने लगे।
### *अवसाद और मिलन*
एक बार सपना अपने घर गई, लेकिन वहाँ उसका मन नहीं लग रहा था। उसने अनिल को फोन किया और कहा, "मुझे यहाँ बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है।" अनिल ने पूछा, "क्यों?" सपना ने कहा, "मुझे नहीं पता, लेकिन मैं जल्दी ही वापस आ जाऊँगी।"
सपना ने तीन दिन बाद ऑफिस में आकर अनिल से कहा, "आपसे दूर रहकर मुझे समझ में आया कि मैं आपके बिना नहीं रह सकती।"
### *प्यार का अद्भुत मिलन*
अब अनिल और सपना एक-दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते थे। उनका रिश्ता हर दिन और गहरा होता गया। कंपनी के साथी अब उनकी मुस्कान और उनकी आँखों में छिपे इस प्रेम को देखकर मुस्कुराते थे।
यह प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी, लेकिन इसकी खूबसूरती इसकी सादगी में थी। यह उन दिलों की दास्तान थी, जिन्होंने बिना शब्दों के एक-दूसरे की भावनाओं को समझा।
*अनिल और सपना का प्यार सिखाता है कि सच्चे प्रेम में शब्दों की नहीं, भावनाओं की ज़रूरत होती है।*
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